उद्गम

अस्वीकरण : प्रस्तुत कविता एक हिन्दी फिल्म "three of us" से उद्धरत है । लेखक इस कविता को सबके सामने प्रस्तुत कर उसका महत्व साझा करना चाहता है । 

एक तमाशा शोर का कल फिर से झेला जाएगा एक पत्थर आस का साँसों से ठेला जाएगा कल तो तभी आएगा जब आज खेला जाएगा अब निकलके राह पे हम आ चुके हैं तो सुनो जाएँगे हम उस नगर जिस तक ये मेला जाएगा कल तो तभी आएगा जब आज खेला जाएगा लाख मोती जेब में भरके तू रख ले चाहे तो आख़िरी दिन मुट्ठी में बस एक ढेला जाएगा कल तो तभी आएगा जब आज खेला जाएगा

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