हालात
बताना, हैं ये कैसे हालात
ना खुद का वक़्त, ना माँ-बाप का साथ
बताना, हैं ये कैसे हालात
ना खुद पे भरोसा, ना ऊपरवाले का हाथ
बताना, हैं ये कैसे हालात
ना दिल बचा, ना दिल की दवात
बताना, हैं ये कैसे हालात
ना खुद से तकल्लुफ़, बस लोगों की बात
बताना, हैं ये कैसे हालात
आँखों से देखा, पैसे से इश्क़ को मात
बताना, हैं ये कैसे हालात
ना आदमी के कर्म, बस पूछे जात
बताना, हैं ये कैसे हालात
ना नींद पूरी, ना सपने साथ
बताना, हैं ये कैसे हालात
अपनों के नाम पर बस ग़म है साथ
काश कोई तो बताए आख़िर
मेरे ही क्यों ऐसे हालात
जब नहीं किया किसी का बुरा,
तो ऊपरवाले ने क्यों छोड़ा मेरा हाथ
और अब छोड़ ही दिया है मेरा हाथ,
तो क्या नहीं हुआ मैं पूरा आज़ाद
तो जो बचा है मेरा हाथ,
बस कुछ और नहीं मेरे पास
लेकिन ये तजुर्बा रहेगा सदा याद
जो अब तू थाम ले अगर अपना साथ
तो शायद तेरे पास ही है तेरा ख़ास
जो बनकर कस्तूरी मृग,
तुझे अब आया याद
तो जाने दे जो जाता है
छोड़ कर तेरा साथ
एक सच्चा दोस्त बन जा खुद का,
तो हो जाए आबाद
तेरे कर्म और तू अगर रहें साथ
तो बना देंगे ऊपरवाले का ख़ास
बस तू चलते रहना,
मत छोड़ना आस
गहरे दरिया ढूंढा वही
जिसकी गहरी हो प्यास।
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