योद्धा
हो सकता है कि सूरज ढल जाए
हो सकता है नेकी तेरी खल जाए
यूँ ही कुछ दुख इस दिल में पल जाए
पर सुबह के लिए रात ज़रूरी
हो सकता है आँखें थोड़ी मल जाएं
हो सकता है आज तू न हल पाए
यूँ ही थोड़ी आग बिना जल जाए
पर जीत के लिए हार ज़रूरी
हो सकता है कर्म का न फल पाए
हो सकता है मंज़िल में ही दल जाए
यूँ ही थोड़ा बिन पानी के गल जाए
पर आग के लिए राख ज़रूरी
हो सकता है तू न कुछ कर पाए
हो सकता है आज खाली हाथ घर जाए
पर कर्म व्यर्थ हो — नहीं ज़रूरी
तूने कोशिश सच्ची की, मन से पूरी
चाहे बन पाना एक अंगार
पर आग के लिए आग बनना पूरी
- शिनाख्त
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