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Showing posts from May, 2024

हमनवा

जिस्मों के बीच बना कर फासला  आता है तुझे , मन की दूरी मिटाना  बात बेबात पर, न जाने क्यूं  तेरा मुझ पर सबसे ज्यादा हक ज़माना तू और तेरी बातों की खूबसूरती है इस कदर उसे आता है, सब भूली भटकी यादें मिटाना  ना ही हो पर जब जाओ इस दिल को छोड़कर  बस दो दिलों को ज़रूर बताना ।। मेरी आंखों से देख तू कितनी प्यारी लगती है अपनों की हर जान दुलारी लगती है कोई क्यों न करे दोस्ती तुझसे  तू हमें यूं ही हमारी लगती है ।। तेरी आंखों में डूब जाऊं  तेरे जिस्म में समा कर तेरे होंठों से पी जाऊं तुझे  अपने होंठों से लगाकर  और फिर तू उठा दे मुझे जोर से, मैं फिर सो जाऊं तुझमें, तुझको सुला कर ।। तूझसे मिलना एक ख्वाब था मेरा  एक ख्वाब जो एक तूफान को शांत कर आया है दिल के बाजार में कई तमाशे हुए थे  तुम्हारे सामने उन तमाशों का ज़िक्र जाया है मैने काफी कोशिश की थी खुद से मिलने की  अब तुमसे मिलकर ही मैंने खुद को पाया है  ।। तुम हसरत थी, अब हकीकत भी हो सिर्फ ख्वाब में नहीं, असली दौलत भी हो  तुम्हारे गम से मर जाएंगे लोग  तुमसे प्यार में कभी फुर्सत भ...

प्रिय

चैत्र माह में जब कोई गाय  चिलचिलाती धूप से होकर व्याकुल  जल की याद जगाती है  कुछ उसी तरह तुम्हारी याद आती है , प्रिय  जब स्टेशन से शहर को छोड़ कर जाते देखता हूँ  तब माँ बापू की याद जिस भांति सताती है   कुछ उसी तरह तुम्हारी याद आती है , प्रिय  रात को तारामंडल के नीचे  जब एकटक  निहारता हूँ खुले आकाश को  तब खुद की खोज भी काफी जगाती है  उस खोज में भी तुम्हाती याद आती है , प्रिय  जब शहर-शहर , जंगल-जंगल  बंजारों की भांति घूमता है कोई  तब उसे घर की याद काफी रुलाती है  शायद मेरे दिल के घर में तुम्हारी याद आती है, प्रिय  जब समाज किसी अपराधी को  मृत्युदंड की सजा सुनाती है  तुम्हारा रूठना और मेरी गलती  मुझे वही एहसास दिलाती है  उस अपराधी की भांति मेरी आखिरी इच्छा में तुम्हारी ही याद आती है , प्रिय                                                         ...