बदलाव
जो प्यार था पहले, अब जलती आग बन चुका है। जितना पिघलता था तुझ पर, देख, अब राख बन चुका है। काफ़ी ग़म सताता था तेरा , पहले अब वो सब ख़ाक बन चुका है। जो पहले मीठा एहसास था प्यार का, अब वो कड़वा स्वाद बन चुका है। लोगों ने ज़िंदा देखा नहीं मुझे, वो एक हंसती लाश बन चुका है। एक शीशे सा दिल था मेरे सीने में, अब देख, बिखरा काँच बन चुका है। तुझे भूलने की कोई कोशिश नहीं की मैंने, मेरा जिस्म, तेरी याद बन चुका है। दिनभर तुझ पर दुनिया लुटाता था मैं, अब वो दिन, रात बन चुका है। जिस समंदर में ख़ून था मेरा, अब उसका एक डूबा जहाज़ बन चुका है। अब मत लौट, यही इल्तिज़ा है तेरा हमदर्द फ़राज़ बन चुका है। तुझसे दूरी ही सही है, मेरा ग़ुस्सा मेरे साज़ बन चुका है। अच्छा नहीं हूँ मैं, सही बात, मेरा बुरा, मेरा साथ बन चुका है। जिस आस्तीन में संभालती थी तू, वो तेरा आस्तीन का साँप बन चुका है। मरकर भी नहीं लौट सकता मैं अब तो तेरा नया यार बन चुका है। ...