ये दुनिया
'अपनी सोच' से लोगों को तंग देखा है
खुद की बात पर खुद का व्यंग्य देखा है
लड़ते रहते लोग अपनी ही सोच पर
काटों के ही साथ मैंने फूलों का संग देखा है ।
आपकी सोच उस पौधे को फूल बनाती है
फूल बना कर पूरे संसार को महकाती है
और आप लड़ते हो उन विचारों की श्रंखला से
जो आपको एक पशु से मनुष्य बनाती है ।
एक साधारण व्यक्ति से आपको दीदार कराती है
उसकी खूबसूरती से ज्यादा उसे खूबसूरत बनाती है
आपको हर कड़ मेँ एक परमात्मा दिखाती है
आपके अर्श और फर्श की दूरी मिटाती है
और आप लड़ते हो, संभलते हो
बात बेबात पर उलझते हो
हर व्यक्ति की बातों मेँ फिसलते हो
और जीवंत मेँ खुद से ही मिलते हो ।
लोगों का क्या है ,कभी बुरा है कभी भला है
एक खो जाने के बाद दूसरा मिला है
और अफसोस नहीं किसी से जो मिला है
ज़िंदगी को बस एक ही सिला है
अगर तू अकेला भी है तो शुक्र कर
अब तुझे तेरा ही खुदा मिला है ।।
- शिनाख्त
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