दिल की बात

तुम हमेशा मेरे साथ रहती हो
जब रहती हो पास, आस पास रहती हो
जब होती हो दूर, दिल की खास रहती हो
हमेशा दिल,दिमाग दोनों  में साथ रहती हो
तुम्हारी याद आती है तो सोचता हूँ मिलूँ तुमसे
मिलता तो हूँ रोज़ ख्यालों में, क्यों चारासाज़ रहती हो।।

तुम्हारी याद आती है, सागर की गहराई जितनी
तुम्हारी बातें लगती हैं, खूबसूरत उतनी
जितने ऊंचे पहाड़ हैं दरिया के,
मुझे तुम्हारी चाह है उतनी । । 

तुमसे न मिलना मुझे एक बोझ सा लगता है
ये इश्क और तुम, एक झोंक सा लगता है

मेरे दिल बैठा जाता है बस इसी बात से,

तुमने अपने से दूर किया मुझे बड़ा बनाने के लिए
क्या मैं वो सब कर जाऊँगा तुम्हें पाने  के लिए
क्या मैं कर पाऊँगा उम्मीदें पूरी तुम्हारी
ऐसा न हो, मैं खाक में मिल जाऊँ, आग जलाने के लिए

मिलने को भी मना किया, मिलोगी जब खुद को पा लूं
और बस इसी बात पर, अपने कदम उठा लूं,
मंजिल के पास ही अपना एक डेरा  बना लूं
क्या तेरी मोहब्बत में खुद को ऊपर उठा लूं

तेरी मोहब्बत मुझे कमज़ोर होने नहीं देती
तेरी ज़िंदा यादें मुझे कभी रोने नहीं देती
मुझे मेरा दीदार कराने की कोशिश करती हो 
लेकिन तुम्हारी मोहब्बत, किसी और का होने नहीं देती

क्या आग में जल सकता हूँ मैं
सिर्फ़ कोशिश ही कर सकता हूँ मैं
                                                                
                                                                                       -शिनाख्त 


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